भगवान श्रीराम से जुड़ी 13 अद्भुत बातें | 13 Amazing Facts About Lord Ram

Author: in January 20, 2024
13 Amazing Facts About Lord Ram In Hindi

भगवान राम के बारे में 13 आश्चर्यजनक तथ्य (13 Unknown Facts About Lord Ram In Hindi) 

भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या को दुल्हन सा सजाया गया है। भगवान राम का नाम जितना सुंदर है, उनके नाम से जुड़ी कहानी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। राम कहने मात्र से शरीर और मन में अलग ही तरह की प्रतिक्रिया होती है जो हमें आत्मिक शांति देती है। हिन्दू धर्म के चार आधार स्तंभों में से एक है प्रभु श्रीराम। भगवान श्री राम ने एक आदर्श चरित्र प्रस्तुत कर समाज को एक सूत्र में बांधा था। भारत की आत्मा है प्रभु श्रीराम। इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं, भगवान श्रीराम से जुड़ी 13 ऐसी बातें तो बहुत कम लोग जानते है...

1. राम के अवतार - भगवान विष्णु ने समय-समय पर अपने भक्तों की सहायता के लिए व उनके उद्धार के लिए धरती पर जन्म लिया है। पुराणों में भगवान विष्णु के 24 अवतारों का वर्णन मिलता है जिसमे से 10 मुख्य अवतार में 7 वां अवतार भगवान राम का है व इससे पहले मतस्य, कुर्म, वराह, नरसिंह, वामन व परशुराम है तथा राम जी के बाद कृष्ण, बुद्ध व कल्कि है। राम का अवतार एक पूर्ण अवतार नहीं माना जाता है क्योंकि उनको 14 कलाएं ज्ञात थीं। श्री कृष्ण सोलह की सोलह कलाओं में पारंगत थे। ऐसा जान बूझ कर किया गया था क्योंकि रावण को कई वरदान प्राप्त थे, लेकिन एक मनुष्य उसका वध कर सकता था।

2. भगवान श्रीराम की एक बहन भी थीं - कुछ ग्रंथों में भगवान श्रीराम की एक बहन होने का वर्णन भी मिलता है। उनका नाम शांता था। राजा दशरथ ने उन्हें अंगदेश के राजा रोमपाद को गोद दे दिया था। शांता का विवाह ऋषि ऋष्यश्रृंग से हुआ था। राजा दशरथ द्वारा किया गया पुत्रकामेष्ठि यज्ञ मुख्य रूप से ऋषि ऋष्यश्रृंग ने ही करवाया था, जिससे श्रीराम आदि का जन्म हुआ।

3. कबंध को श्रापमुक्त किया था श्रीराम ने - जब श्रीराम और लक्ष्मण वन में सीता की खोज कर रहे थे। उस समय कबंध नामक राक्षस का राम-लक्ष्मण ने वध किया था। वास्तव में कबंध एक श्राप के कारण राक्षस बन गया था। जब श्रीराम ने उसका दाह संस्कार किया तो वह श्राप मुक्त हो गया। कबंध ने ही श्रीराम को सुग्रीव से मित्रता करने के लिए कहा था।

4. देवी सीता- माना जाता है कि देवी सीता ने बचपन में ही भगवान शिव का धनुष खेल-खेल में उठा लेती थीं. इसलिए राजा जनक ने उनके स्‍वयंवर के समय धनुष तोड़ने की शर्त रखी थी।

5. शिवलिंग और सेतु बनवाया - 14 वर्ष के वनवास में से अंतिम 2 वर्ष प्रभु श्रीराम दंडकारण्य के वन से निकलकर सीता माता की खोज में देश के अन्य जंगलों में भ्रमण करने लगे और वहां उनका सामना देश की अन्य कई जातियों और वनवासियों से हुआ। उन्होंने कई जातियों को इकट्ठा करके एक सेना का गठन किया और वे लंकी ओर चल पड़े। श्रीराम की सेना ने रामेश्वरम की ओर कूच किया। महाकाव्य 'रामायण' के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम का शिवलिंग श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है। इसके बाद प्रभु श्रीराम ने नल और नील के माध्यम से विश्व का पहला सेतु बनवाया था और वह भी समुद्र के ऊपर। आज उसे रामसेतु कहते हैं जबकि राम ने इस सेतु का नाम नल सेतु रखा था।

6. रावण एक महा ज्ञानी - रावण अपने समय का सबसे बड़ा ज्ञानी था, इसीलिए एक बार राम जी ने रावण को महा-ब्राह्मण कह कर पुकारा था, और उसकी मृत्यु के समय लक्षमण को उससे ज्ञान प्राप्त करने के लिए भेजा था।

7. गिलहरी को आर्शीवाद - माना जाता है कि गिलहरी पर जो तीन धारियां हैं वह भगवान राम के आर्शीवाद के कारण हैं। दरअसल, जब लंका पर आक्रमण करने के लिए रामसेतु बनाया जा रहा था तब एक गिलहरी भी इस काम में मदद कर रही थी। उसके समर्पण भाव को देखकर श्रीराम ने प्रेमपूर्वक उसकी पीठ पर अपनी उँगलियाँ फेरी थीं और तभी से गिलहरी पर ये धारियां मौजूद है। 

8. इसलिए श्रीराम के हाथों मरा रावण - रघुवंश में एक परम प्रतापी राजा हुए थे, जिनका नाम अनरण्य था। जब रावण विश्वविजय करने निकला तो राजा अनरण्य से उसका भयंकर युद्ध हुआ। उस युद्ध में राजा अनरण्य की मृत्यु हो गई, लेकिन मरने से पहले उन्होंने रावण को श्राप दिया कि मेरे ही वंश में उत्पन्न एक युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा।

9. 31 बाणों से मरा था रावण - श्रीरामचरित मानस के अनुसार श्रीराम ने 31 बाण एक साथ रावण को मारे थे। इन 31 बाणों में से 1 बाण रावण की नाभि पर लगा, बाकी 30 बाणों से उसके 10 सिर और 20 हाथ धड़ से अलग हो गए। जैसे ही रावण का विशाल धड़ पृथ्वी पर गिरा तो पृथ्वी हिलने लगी थी।

10. राम जी के स्वर्ग गमन- जब राम अवतार का प्रयोजन सिद्ध हो गया तब राम जी को किसी साधारण मनुष्य की तरह ही अपना शरीर त्यागना था . लेकिन उनके परम भक्त हनुमान के होते यमराज के लिए राम जी तक पहुंचना संभव नहीं था. इसलिए राम जी ने जमीन में पड़ी एक दरार से अपनी अंगूठी गिरा दी और हनुमान से उसे लाने के लिए कहा. हनुमान जी उसे खोजते-खोजते नाग लोक पहुँच गए और वहां के राजा से राम जी की अंगूठी के बारे में पूछा. तब राजा ने बताया कि राम जी ने ऐसा उनका ध्यान भटकाने के लिए किया है ताकि यमराज राम जी को ले जा सकें.

11. गौतम बुद्ध के पूर्वज राम- वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे। उनमें से एक इक्ष्वाकु के कुल में रघु हुए। रघु के कल में राम हुए। राम के पुत्र कुश हुए कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए जो महाभारत के काल में कौरवों की ओर से लड़े थे। शल्य की 25वीं पीढ़ी में सिद्धार्थ हुए जो शाक्य पुत्र शुद्धोधन के बेटे थे। इन्हीं का नाम आगे चलकर गौतम बुद्ध हुआ। यह नेपाल के लुम्बिनी में रहते थे। सिद्धार्थ के बाद राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। जयपूर राजघरा की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग की राम के पुत्र कुश के वंशज है। महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे।

12. रामायण के सबूत- जाने-माने इतिहासकार और पुरातत्वशास्त्री अनुसंधानकर्ता डॉ. राम अवतार ने श्रीराम और सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े ऐसे 200 से भी अधिक स्थानों का पता लगाया है, जहां आज भी तत्संबंधी स्मारक स्थल विद्यमान हैं, जहां श्रीराम और सीता रुके या रहे थे। वहां के स्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओं आदि स्थानों के समय-काल की जांच-पड़ताल वैज्ञानिक तरीकों से की। इन स्थानों में से प्रमुख के नाम है- सरयू और तमसा नदी के पास के स्थान, प्रयागराज के पास श्रृंगवेरपुर तीर्थ, सिंगरौर में गंगा पार कुरई गांव, प्रायागराज, चित्रकूट (मप्र), सतना (मप्र), दंडकारण्य के कई स्थान, पंचवटी नासिक, सर्वतीर्थ, पर्णशाला, तुंगभद्रा, शबरी का आश्रम, ऋष्यमूक पर्वत, कोडीकरई, रामेश्वरम, धनुषकोडी, रामसेतु और नुवारा एलिया पर्वत श्रृंखला।

13. राम नाम की महिमा - श्रीराम भगवान विष्णु के 7वें अवतार थे। विष्णु सहस्त्रनाम में भगवान के 1 हजार नाम बताए गए हैं। इनमें से 394 स्थान पर भगवान विष्णु का एक नाम राम भी बताया गया है।



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